Friday, February 24, 2012

"दौड़"



एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है .
चंद लम्हों का साथ लगता नाकाफी है 
एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है .

पहले जीत जीत कर भी हारता रहा 
खुद को खुद से ही मरता रहा .
आज आस्मां से एक सुनहरी किरण झांकी है 
एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है  .

बहुत भटका हूँ तब ही पाया है .
एक विश्वास आज जो मन में आया है 
सफ़र की थकान अब लगती नाकाफी है 
एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है .

अब साँसों में एक तहराव है 
मन को एक विश्वास है 
ज़िन्दगी कुछ सपने समेटना चाहती है 
एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है .

बोल कर तो मैं बता ना सका ,
शब्दों में वो बात कहाँ 
तुम्हें व्यक्त जो कर सकें
ऐसा वो एहसास कहाँ 
तुम्हारा होना ही काफी है 
एक दौड़ ज़िन्दगी की अभी बाकी है 

Wednesday, February 8, 2012

"सवाल"


ज़िन्दगी ने बहुत से मोड़ दिखाएं हैं
एक और सही
पर ये मोड़ तो पीछे देखने को कहता है
कहता है देख तुने क्या क्या किया 
हँसता है , चिडाता है 
कहता है की तुने आखिर क्यूँ ये किया अपने साथ
क्यूँ इस ज़िन्दगी के लम्हों को बर्बाद किया
तुझे ऐसे ही नहीं दी जीने की इजाजत
हँसता तो मैं खुद भी हूँ 
की आखिर क्या हो गया था मैं उस दौरान
सवाल है आज इस मोड़ पर 
और शायद ज़िन्दगी भर ... 

Friday, August 26, 2011

"नींद"

थकी हुई आँखें सोती नहीं है कभी ...
सुकून की नींद के काबिल होते नहीं सभी ...
                     ...
फिर यही सोचता हूँ करके हर कर्म ...
के जो मैं चाहता था वो सच था या भरम ...
                     ...
भागती हुई रातों का पीछा कर कर  
के थक गए हम सभी ...

Thursday, August 25, 2011

"पल"

पल पल जीता हूँ 
पल पल मरता हूँ
पल पल तुझे याद कर ,
तुझ संग जीता हूँ हर सपना .
हर सपने में बस तू है 
ज़िन्दगी में पाता हूँ तुझे हर कहीं 
चाहे हो वो सपना या सच ...

हर याद में तू है 

हर बात में तू है
मरता हूँ हर पल 
तेरे लिए नहीं पर अपने लिए
एक जगह है खाली इस ज़िन्दगी में

हँसता तो हूँ 
पर लगता है की खुद पर ही तो हंसी थी वो
एक उदास पल आया था
पर अब लगता है 
की वो तो सिर्फ धोखा था 
मैं तो बस पल जीता हूँ 
पल पल जीता हूँ 
   ( कुछ समय पहले ऐसा लगता था , पर अब आल इज वेल )

Friday, August 12, 2011

"बहन"

लड़ता था मैं बहुत उस से 
शिकायत जो लगा देती थी वो ... 
नहीं पढता था तो 
मम्मी नहीं वो पिटाई करती थी ... 
छोटा हूँ मैं 
फिर भी ना जाने कितने 
नखरे सहती थी मेरे ... 
और एक दिन अचानक उसकी शादी की बात उठी 
बहुत गुस्सा हुआ था मैं 
की इतनी जल्दी नहीं करनी उसकी शादी ...
मैं किस से लडूंगा 
किस को कहूँगा की मेरे लिए ये बना वो बना  ...
बहुत रोया था उस दिन 
शायद उस से भी ज्यादा ...
मैं हूँ उसका प्यारा 
वो है मेरी
"बहन"...
( आज बहुत साल बाद राखी के दिन मिलूँगा , कुछ अलग ही है ये लम्हा )