लड़ता था मैं बहुत उस से
शिकायत जो लगा देती थी वो ...
नहीं पढता था तो
मम्मी नहीं वो पिटाई करती थी ...
छोटा हूँ मैं
फिर भी ना जाने कितने
नखरे सहती थी मेरे ...
और एक दिन अचानक उसकी शादी की बात उठी
बहुत गुस्सा हुआ था मैं
की इतनी जल्दी नहीं करनी उसकी शादी ...
मैं किस से लडूंगा
किस को कहूँगा की मेरे लिए ये बना वो बना ...
बहुत रोया था उस दिन
शायद उस से भी ज्यादा ...
मैं हूँ उसका प्यारा
वो है मेरी
"बहन"...
( आज बहुत साल बाद राखी के दिन मिलूँगा , कुछ अलग ही है ये लम्हा )
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